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खण्डेला धाम के लिए दान

इतिहास

समाज के विद्वानों के शोध तथा विभिन्न ग्रंथों में किए गए वर्णनानुसार यह निर्विवाद स्वीकृत है स्वीकृति तथ्य है की खंडेलवाल वैश्य समाज का उद्गम स्थल खंडेला ग्राम, जिला-सीकर, राजस्थान ही है ।श्री खंडेलवाल वैश्य तीर्थ स्थान ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी पुरुषोत्तम गुप्ता(बूसर) निवासी,जयपुर (मूल निवासी ग्राम बांसखो, तहसील बस्सी, जिला- जयपुर) राजस्थान ने इस स्थान से समाज को जोड़े रखने के लिए एक योजना बना रखी थी योजनानुसार खंडेलवाल वैश्य समाज का तीर्थ स्थान बनाया जाए जिसे अपने एक तीर्थस्थान (धाम)के रूप में समाज बंधु माने एवं उनके मन में यह भावना जागृत हो कि हमारी चारों धाम की यात्रा तभी पूर्ण होगी जब हम खंडेला स्थित हमारे तीर्थ स्थान खंडेलवाल वैश्य धाम,(खंडेला- धाम) के दर्शन कर लें। अपने प्रयासों से खंडेला के राजोरिया परिवार,जोकि खंडेला एवं भारत के विभिन्न प्रांतों में निवास करते हैं, से लगभग 48 बीघा जमीन दान में लेने की स्वीकृति प्राप्त कर ली थी। श्री पुरुषोत्तम गुप्ता (बूसर)अपनी कुलदेवी माता सरसा देवी के मंदिर के निर्माण एवं विकास के सिलसिले में श्री रघुनंदन लाल खंडेलवाल(बडाया), एडवोकेट पुत्र स्वर्गीय श्री जोहरी लाल बडाया ,जयपुर से मिले थे।

आपस में बात करने पर खंडेला धाम के बारे में जिक्र हुआ। श्री खंडेलवाल जी ने भी खंडेला में इस तरह का धाम बनाने की योजना से सहमति व्यक्त करते हुए अपनी ओर से पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया। समाज के तीर्थ स्थान खंडेलवाल वैश्य धाम (खंडेला धाम) को मूर्त रूप देने के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया गया।

पदाधिकारी खण्डेला धाम

सभी देवियो और गौत्र के बारे में

गौत्र का महत्व : गौत्र किसी समाज की उन प्रव्रतियों व मानव जीवन और समाज के समूह रूप व्यापार स्थान के परिचालक है। जिनसे समाज के उस समूह का बोध होता है । यद्यपि कालान्तर मे समाज के साथ- साथ इसके रूप देने के लिऐ गौत्र एक सूत्र का काम करता है। और आजकल तो यह भी प्रथा प्रचालित हो गई कि व्यक्ति अपने नाम के आगे अपना उपनाम का उल्लेख भी करते है। अपने-अपने गौत्रों की कुल माताऐं अलग-अलग होती है।

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देवी पूजा

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श्री सरस्वती माता जी

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02

कपासन माता

गौत्र : खुंटेटा, मूल स्थान: जयपुर जिले में शाहपुरा अलवर रोड पर पास में गाँव में

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03

माखद माता

गौत्र : सेठीए बैद (सोनी), मूल स्थान: जयपुर जिले में कोटपुटली से नीमकाथाना रोड पर गाड़ी गाँव के पास

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04

सरसा माता

गौत्र : बड़ाया, बूसरा, माली, बावरिया, मूल स्थान: दौसा से अलवर रोड पर गोला के बास के आगे पुलिया के पास स्थित पहाड़ी की गुफा में

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कार्यक्रम

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ट्रस्ट के लिए दान

1. आजीवन संरक्षक ट्रस्टी: रू.11,00,000/-

2. आजीवन ट्रस्टी: रू.1,00,000/-

3. अतिथि गृह के कमरा निर्माण: रू.8,00,000/-

4. अतिथि गृह के कमरों का सौंदर्यीकरण प्रति कमरा रू.4,00,000/-

5. कुलदेवी माता मंदिरों का सौंदर्यीकरण हेतु अनुमानित लागत रू. 7,50,000/-

  • वतवीर माता – माठा
  • समगरा (करसट) माता – सिरोहिया
  • सारगद माता – माणकबोहरा (आमेरिया)
  • सावरदे माता – बम्ब
  • कनकस (धौलागढ़) माता – कौड़िया
  • कोलाईन माता – बाजरगान
  • कुरसड़ (कुलसठ) माता – सोखिया
  • नावड़ माता – केदावत, ओढ

6. मंदिर निर्माण हेतु अनुमानित लागत रू. 4,00,000/-

7. मंदिर सौंदर्यकरण हेतु अनुमानित लागत रू. 7,50,000/-

  • भंवर कठेर (बांकी) माता – खटोरिया (कठोरिया)
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