खंडेलवाल वैश्य समाज के 72 गोत्र व उनकी 37 कुलदेवी माताओं के मंदिर

गोत्र का महत्व : गोत्र किसी समाज की उन प्रवृत्तियों व मानव जीवन और समाज के समूह रूप व्यापार स्थान के परिचालक है। जिनसे समाज के उस समूह का बोध होता है । यद्यपि कालान्तर मे समाज की पहचान के साथ- साथ इसके रूप देने के लिऐ गोत्र एक सूत्र का काम करता है। और आजकल तो यह भी प्रथा प्रचालित हो गई कि व्यक्ति अपने नाम के आगे अपना उपनाम का उल्लेख गोत्र से भी करते है। अपने-अपने गोत्रों की कुल माताऐं अलग-अलग होती है। जिनके पूजन का बच्चे के जन्म से विवाह तक बहुत महत्व होता है। हमारे 72 गोत्रों में 37 भिन्न-भिन्न माताऐं है। जिनमे जीणमाता 13 गोत्रों की, सरूण्ड 6 गोत्रों की और बमूरी 5 गोत्रों की पूजक है। हर साल अश्विन की नवरात्रि मे अष्टमी के दिन इन देवियों का प्रत्येक घर मे पूजन का विधान है। इसके अतिरिक्त मुण्डन भी कुल देवी के समक्ष ही होने का विधान हैं। लेकिन दूरी व बदलती हुई परिस्थितियों की कठिनता के कारण आजकल इसका पालन होना सम्भव नहीं हो पा रहा है। फिर भी इन देवियों का पूजन बडी श्रद्धा व पवित्रता से किया जाता है। धार्मिक कार्यों मे इसका सबसे अधिक ध्यान रखा जाता है। विवाह मानव के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है। तथा इस संस्कार के लिये भी गोत्र का होना बहुत महत्वपूर्ण है। बालक व बालिकाओं का विवाह उनके परिवार के गोत्र टालकर ही करने का विधान है।

क्र.सं. गोत्र कुलदेवी माता
1 खूंटेटा कपासन
2 सेठी, बैद (सोनी) माखद
3 बड़ाया, बूसर, माली, बावरिया सरसा
4 धामाणी, राजौरिया, भांगला सेंतलवास
5 अटोलिया, बड़गोती, हल्दिया कूलवाल, जंघीनिया, मामोड़िया सरूण्ड
6 डंगायच, (कूलवाल) शाकम्भरी (सकराय)
7 बीमवाल, (बैंवाल, खाडिया) नीमवासिनी ( गामवासिनी)
8 नाटाणी, दुसाद, कायथवाल, पाटोदिया, कासलीवाल, टटार, खारवाल, भंडारिया, तमोलिया, लाभी, सांखूनिया, शाहरा (सोनी) जीण
9 झालानी धावड़ (चामुण्डा)
10 निरायणवाल, घीया, जसोरिया, फरसोईया, ठाकुरिया बमूरी
11 रावत औरल
12 आमेरिया, भुखमारिया (माणकबोहरा) आमण
13 पाबूवाल मण्डेर
14 ताम्बी, बुढ़वारिया नागिन
15 माठा वतवीर
16 सिरोहिया समगरा (करसट)
17 धौकरिया डावरी
18 मेठी अमरल (नोसल)
19 कट्टा, टोडवाल, नैनीवाल आंतेल (आंतेड)
20 बढेरा जमबांध (जमवाय)
21 बम्ब सावरदे
22 महरवाल, सांभरिया, सिंगोदिया (झालानी) चामुण्डा
23 बाजरगान कोलाईन
24 किलकिल्या नन्दभगौनी (दांत)
25 पीतलिया बड़वासिन
26 साँखिया कुरसड़ (कुलसठ)
27 केदावत, ओढ़ नावड़
28 काठ मितर
29 कोड़िया कनकस (धौलागढ़)
30 माचीवाल, बनावड़ी सार
31 आकड़ तिलौधहड़
32 डांस विनजिल (वृन्दावती)
33 मंगोड़िया (मंगोडरिया, मंढोकल्या) ढकवासन
34 गोलिया (गोल्या, गोविन्दराजिया) विरहल (ललता)
35 खटोरिया (कठोरिया) भंवर कठेर (बांकी)
36 बटवाड़ा, नैनावा वक्र (समोखण)
37 माणकबोहरा (आमेरिया) सारगद (आमिन)

ट्रस्ट के लिए दान

1. आजीवन संरक्षक ट्रस्टी: रू.11,00,000/-

2. आजीवन ट्रस्टी: रू.1,00,000/-

3. अतिथि गृह के कमरा निर्माण: रू.8,00,000/-

4. अतिथि गृह के कमरों का सौंदर्यीकरण प्रति कमरा रू.4,00,000/-

5. कुलदेवी माता मंदिरों का सौंदर्यीकरण हेतु अनुमानित लागत रू. 7,50,000/-

  • वतवीर माता – माठा
  • समगरा (करसट) माता – सिरोहिया
  • सारगद माता – माणकबोहरा (आमेरिया)
  • सावरदे माता – बम्ब
  • कनकस (धौलागढ़) माता – कौड़िया
  • कोलाईन माता – बाजरगान
  • कुरसड़ (कुलसठ) माता – सोखिया
  • नावड़ माता – केदावत, ओढ

6. मंदिर निर्माण हेतु अनुमानित लागत रू. 4,00,000/-

7. मंदिर सौंदर्यकरण हेतु अनुमानित लागत रू. 7,50,000/-

  • भंवर कठेर (बांकी) माता – खटोरिया (कठोरिया)
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